अधूरी ख्वाइश मेरी.....

एक स्टेटस में कहा था दफा तूने एक बारी 

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"Bdi lambi guftagu karni hai
tum aana, ek puri zindgi le kar."


सुनो...
आया हूं जिंदगी और सांसे लिए नाम तेरे 
अब भी यकीन तुझे ना हो प्यार में मेरे 
तू ले ले जान फिर मेरी..

शिकायतें अब भी कितनी है तुझे मुझसे ?
बता मुझे आज यह भी दे जरा..
गुस्ताख दिल तेरे हवाले किया है अपना ,
संभाल लेना इसको तू समझकर अपना..

आई थी चंद वक्त पहले और अब जाने वाली है चंद वक्त में,
बोलूंगा अलविदा कैसे तुझे मैं परेशान हो अभी से रहा हूं..
सुकून मिलता था देख के तुझे सीट में सामने अपने,
अब न मंजर होगा वह ना सामने मेरी होगी तू..

दीदार को भी तरसुंगा तेरे..

पल वह पल जो बीते थे संग तेरे 
ना लौट के आएंगे कभी,
खो जाऊंगा यादों में तेरी 
और खो जायेगी यादों में मेरी तू,

कभी याद मेरी तुझे भी सतायेगी जरूर,
जून की वह धूप फिर भी तेरा मेरा पैदल चलना 
लड़ना पल पल का 
और नजरें चुराकर फिर देखना 
कभी जो नजरें मिल जाए 
तो फिर देख के एक-दूसरे पर हंसना..

सुबह की शुरुआत एक दूसरे से 
और फिर रात को खत्म भी एक दूसरे में
लेट हुआ जो मैसेज करने में कभी,
बिजी कहाँ है कह के ताने मारना एक दूजे को..

आदत लगी जो इतनी ज्यादा है तेरी,
क्या छुट जाएगी अब तू ही बता दे ?

फिर भी बातों से तेरी खायी है कसम
दीदार ना करूँगा सामने से तेरा कभी,
लगता तो है इश्क तुझे भी है मुझसे
बस लफ़्ज़ों में ही नही मैं तेरे..

ख्वाइश थी एक छोटी सी मेरी
और ख्वाइश ही बना अधूरी सी तूने..


© आदी डबराल 

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