#और_फिर_तेरा_चले_जाना.#1

जिंदगी पता तो नही पर काट ही लूंगा तुझे,
आँखों के आँशुओं को भी छुपा लूंगा मैं..
छलक कर गिरे जो बूँद आँखों से
तो कचरा समझ के साफ़ कर दूंगा उन्हे..

विचलित सा यूँ मैं हो गया हूँ,
रूप तेरा ये रौद्र देखकर..
दोष है क्या मेरा बता दे,
प्यार तुझे अरसों से मैंने किया है ?

क्यूँ गयी यूँ तरसता मुझे अकेले छोड़कर,
प्यार करने की कैसी मेरी ये सजा है ?

बिताये जो साये में एक दूसरे के वो लम्हे,
ढाल बन के काटे जो थे वो लम्हे,

जान हम उन में एक दूजे के थे वो लम्हे,
साँस लेना भी कयामत था न होते अगर वो लम्हे..


न जाने फिर कब लौट आयें वो लम्हे
जब साथ फिर होंगे हम लम्हे लम्हे..

किस्मत में मेरी नही की शायद,
बिता सकूँ मैं साथ तेरे लम्हे..

नजर न जाने लगी है हमको किस लम्हे,
अब खुशियां मेरी मातम मनाती हर लम्हे लम्हे..


Ⓒ आदी डबराल

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